परिवहन और गति की दुनिया में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए आईआईटी मद्रास और रेल मंत्रालय मिलकर एक खास प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत एक विशेष ट्रैक पर 600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियाँ दौड़ेंगी। यह ट्रैक चुंबकीय शक्ति और बिजली की मदद से सामान ढोने वाले वाहनों को चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी प्रायोगिक शोध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास में चल रही है।
शनिवार को आईआईटी मद्रास के डिस्कवरी कैंपस में इस ट्रैक पर छात्रों ने एक विशेष प्रदर्शन भी किया। इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे। रेल मंत्री ने बताया कि यह 410 मीटर लंबा ट्रैक एशिया का सबसे लंबा हाइपरलूप ट्रैक बन चुका है और जल्द ही यह दुनिया का सबसे लंबा ट्रैक बनने वाला है।

इस ट्रैक की खास बात यह है कि यह परिवहन और गति के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल करेगा। आईआईटी मद्रास और रेल मंत्रालय मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। भविष्य में हाइपरलूप ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों के कोच चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी में बनाए जाएंगे। इन ट्रेनों की खासियत यह होगी कि इनमें सामान्य ट्रेनों की तरह कई डिब्बे नहीं होंगे, बल्कि सिर्फ एक डिब्बा होगा। यह ट्रेन लो-प्रेशर ट्यूब के अंदर बिजली से चलेगी और चुंबकीय शक्ति की वजह से ट्रैक से थोड़ा ऊपर उठकर चलेगी। धीरे-धीरे इसकी गति बढ़ती जाएगी और यह हवा के बिना वाले ट्यूब के कारण बेहद तेज गति से दौड़ेगी।

आईआईटी मद्रास की टीम तीन अलग-अलग फॉर्मेट में इस ट्यूब को चलाने पर शोध कर रही है। पॉड-ऑन-ट्रैक मोड में 200 किमी प्रति घंटे, मैग्नेटिक लेविटेशन मोड में 400 किमी प्रति घंटे और वैक्यूम ट्यूब मोड में 600 किमी प्रति घंटे की गति से ट्रेन को चलाने पर काम चल रहा है। यह शोध न सिर्फ सार्वजनिक परिवहन के लिए, बल्कि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा रहा है। शुरुआत में इस ट्रैक का इस्तेमाल बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर किया जाएगा। इसके लिए अगले दो महीनों में कई कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।